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Beti Bachao Beti Padhao Per Nibandh | बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध
Beti Bachao Beti Padhao Par Nibandh :- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आज हमारे देश की बेटियां हर मुकाम पर सफलता प्राप्त कर रही है उनकी सफलता से आज कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है।
चाहे वह राजनीति हो, खेल या अंतरिक्ष ही क्यो न हो। देश की उन्नति और विकास में बेटियां अपना पूर्ण योगदान दे रही है।
परंतु आज भी बेटियों को बेटों के समान दर्जा नहीं दिया जाता। इसे एक समाजिक दोष तथा विकृत परंपरा ही कहा जाएगा की बेटे और बेटी में भेदभाव किया जाता है
बेटों की तरह बेटियां भी हमारे देश का भविष्य है। यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि कुछ राज्यों में बेटों की तुलना में बेटियों का लिंगानुपात काफी घट गया है।
हम सभी जानते हैं की हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है और पुरुष प्रधान देश है। यहां सदियो से स्त्रियों के साथ जातियां होते है
जब ईश्वर होकर माता सीता कुप्रथा से नही बच पाई फिर हम तो मामूली इंसान है , हमारी क्या औकात। आज हमारे 21वी सदी के भारत में जहां एक ओर चांद पर जाने की बाते होती हैं,
वही दूसरी ओर भारत की बेटियां अपने घर से बाहर निकलने पर भी कतराती है। जीवन का आधार है बेटि, संसार की मूरत है बेटी।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को किया गया था। सर्वप्रथम ये योजना पानीपत हरियाणा में शुरू की गई थी। यह लोगो की सोच से जुड़ा सामाजिक विषय है ।
हमे इसके पीछे लोगो की ओछी सोच को बदलना है जो की कठिन कार्य है
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने की नौबत एक सोसाइटी में क्यो आई है ये सवाल अपने आप से नही पूछेंग आप हमारे पैरेंट्स कर्जा उठाते है
तो बेटों की पढ़ाई के लिए और बेटियों की विदाई के लिए हमारी सोसाइटी में आज्ञाकारी सबसे बड़ा टाइटल हैं जो एक औरत को मिलता है
बहू हो या बेटी क्योंकि सिर्फ और सिर्फ एक आदमी का कहना मानना होता है एक लड़की अपनी जिंदगी में क्या करना चाहती है कैसे जीना चाहती है
उसके लिए उससे किसी आदमी की परमिशन लेने की ज़रूरत नही होनी चाहिए उस दिन Generic वालो की होगी मेरी पहचान मैं हू
लोगो को लड़कियो को बचाना और सम्मान करना चाहिए क्योंकि वो पूरे संसार का निर्माण करने की सकती रखती है।
आज हम अपने निबंध के माध्यम से एक बेटी अर्थात स्त्री के महत्व को समझाने प्रयास करेगे। मुझे विश्वास है। की यह निबंध आपको अवश्य पसन्द आयेगा।
इसे पढ़ कर बेटी के प्रति व्यक्ति की मानसिकता में परिवर्तन अवश्य आऐगा।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को जानने से पहले हम इन दो शब्दो के अर्थ को समझाने का प्रयास करेंगे। लोगो ने बेटियों की प्रतिभा एवं क्षमता को न समझते हुए गर्भ में या पैदा होने के बाद उनकी हत्या करते आ रहे हैं ।
जब बेटी बचेगी तब ही बेटी पढ़ेगी। अपने भारत में सदियों बेटी को शिक्षा एवं समाज में बराबरी के अधिकार से वंचित रखा गया है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अभियान का तात्पर्य केवल बेटियों को बचना और पढ़ाना नही है। बल्कि सदियों से चली आ रही धार्मिक प्रथाओं एवं मानसिक विचारधारा में परिवर्तन लाना है।
बेटी को शिक्षित होने से वे अपने ऊपर आने वाली कोई भी मुसीबत का सामना कर सकती है। और अपना अधिकार का मांग कर सकती है।
जरूरी नहीं रैशनी चिरागो से ही हो बेटियां भी घर में उजाला करती है।
लक्ष्मी का वरदान है बेटी, धरती पर भगवान हैं बेटी।
बेटी बचाओ और जीवन सजाओ, बेटी पढ़ाओ खुशहाली बढ़ाओ ।
भारत में सदियों से ही महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित रखा गया हैं।
सदियों से ही महिलाएं पुरुषों का गुलाम बन कर रह रही है। जब भी महिलाओं के साथ कुछ गलत हुआ है तो समाज गलत करने वाले व्यक्ति पर अंगुली उठाई
बल्कि महिलाओं के रहन—सहन पर अंगुली उठाई है। ऐसी प्रस्थिति में यदि महिला शिक्षित हो तो समाज को मुंह तोड़ जवाब दे सकती है ।
महिला शिक्षित होगी तो वह अपने साथ होनी वाली बुराइयों के खिलाफ लड़ पाएगी । क्योंकि आज बहुत सी महिलाएं अपने साथ हुए अपराध को दबा कर रखती है
ताकि समाज में उसे बेइज्जत ना होना पड़े और यही चीज उसे अंदर ही अंदर परेशान करते रहती है , जिसके कारण अंत में समाज के तानो से बचने के लिए वह आत्महत्या को पर स्वीकार कर लेती है।
समाज में महिलाओ के प्रति वादी रूढ़िवादी सोच को खत्म करने के लिए सरकार ने साल 2015 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को लाया ।
इस अभियान के कारण आज भारत के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं अपनी प्रतिभा को दिखा पा रही है।
इस अभियान के कारण आज हर कोई अपने बेटियों को शिक्षित करने के लिए जागुरूक हो रहा है ।
देश में लगातार कन्या शिशु दर में गिरावट को संतुलित करने और उनका भविष्य सुरक्षित करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की गई थी ।
स्त्री और पुरुष जीवन के दो पहलू हैं, दोनो को एक साथ चलना होगा तभी जीवन का मार्ग सरलता पूर्वक निकलेगा ।
देश का प्रत्येक दंपति केबल लड़का पाने का इच्छा रखता है और इसी इच्छा के कारण लिंगानुपात में भरी गिरावट आई।
उसी गिरावट को एक सही दिशा में उछाल लाने के लिए ऐसी योजना या अभियान की शुरुआत करनी पड़ी , जो देश के लिए शर्मनाक बात है।
वैसे देखा जाएं तो भारत के अलावा पूरे विश्व में स्त्रियों के साथ भेदभाव किया जाता है , पुरुषों से अधिक काबिल स्त्रियों को समान काम में पुरुषों के मुकाबले कम वेतन दिया जाता है।
आदिकाल में जो लड़कियों के ऊपर अत्याचार हुए उनके पीछे का कारण अशिक्षा थी। अगर हमारे पूर्वज पढ़े— लिखे होते तो आज हमारी स्थिति कई गुना सुधरी हुई होती।
जब बेटियां पढ़ेगी—लिखेगी तो वो अपने अधिकारों के लिए खड़ी होगी , इसी आशा के साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत हुई ।
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Beti Bachao Beti Padhao Per Nibandh FAQs :-
Q. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम कब शुरू की गई?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम कि शुरुआत 22 जनवरी 2015 को कि गई थी।
Q. बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना का मुख्य उद्देश्य हैं?
बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि लिंगानुपात में जो बढ़ावा हो रहा है उसको काम किया जाए।
Beti Bachao Beti Padhao Per Nibandh निष्कर्ष :-
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जिससे कि वो भी Beti Bachao Beti Padhao Per Nibandh (बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध) लिखना सिख जाए। “धन्यवाद”