दुर्गा पूजा पर निबंध | Durga Puja Par Nibandh :- दोस्तों यदि आप भी दुर्गा पूजा पर निबंध लिखना चाहते है और आपको इसे लिखने में दिक्कत आ रही है
तो आप बिल्कुल सही लेख पर आए है जहां पर हम आपको दुर्गा पूजा पर निबंध लिखना बतटने वाले है।
तो चाहिए हम अपने आज के विषय दुर्गा पूजा पर निबंध में आगे बढ़ते है और आपको बताते है कि दुर्गा पूजा पर निबंध कैसे लिखते है।
दुर्गा पूजा पर निबंध | Durga Puja Par Nibandh :- भारत को यदि हम त्योहारों का देश बोले तो यह कथन बिल्कुल सत्य है। यहां सभी प्रकार के धर्मों के त्यौहार को खुशी से मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा भी उनमें से एक हिंदुओं का बहुत प्रसिद्ध और पवित्र पर्व है। देवी दुर्गा की पूजा, अर्चना और आराधना के लिए यह पर्व बहुत प्रसिद्ध है।
यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय को दर्शाता है। यह कुल दस दिनों का त्यौहार है।
इसके पहले नौ दिन को नवरात्रि और अंतिम दिन को दशहरा या विजयदशमी कहते हैं।
दुर्गा पूजा से संबंधित और भी बहुत सी बातें को हमने आगे विस्तृत रूप में बताया है।
दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन में
- दुर्गा पूजा एक धार्मिक त्यौहार है।
- यह हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार में से एक है।
- यह पर्व हिंदुओं का पवित्र पर्व है।
- दुर्गा पूजा का महोत्सव 10 दिन तक चलता है।
- इस पर्व के दौरान मां दुर्गा की नौ रूपों की पूजा 9 दिन तक की जाती है।
- मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है।
- यह त्यौहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है।
- दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव तथा शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
- इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।
- भारत के पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का त्यौहार सबसे प्रसिद्ध है।
दुर्गा पूजा पर निबंध 20 लाइन में
- दुर्गा पूजा हिंदुओं का एक धार्मिक त्यौहार है।
- दुर्गा पूजा हिंदुओं के प्रमुख और पवित्र त्यौहारों में से एक है।
- दुर्गा पूजा मां दुर्गा को समर्पित त्यौहार है।
- दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा की सभी रूपों की पूजा की जाती है।
- दुर्गा पूजा के त्यौहार में मां दुर्गा की पारंपरिक रूप से पूजा, अर्चना की जाती है।
- मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है।
- यह त्यौहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में 10 दिनों तक मनाया जाता है।
- इसके दौरान बहुत से जगह पर मेला लगाए जाते हैं।
- महालय, षष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयदशमी इन 6 दिनों में लोगों में इसका सबसे अधिक उत्साह देखा जाता है।
- दुर्गा पूजा को नवरात्रा, दुर्गोत्सव और भी नामों से जाना जाता हैं।
- दुर्गा पूजा के उत्सव पर जगह-जगह पंडाल सजाए जाते हैं।
- इस पर्व के अवसर पर दुर्गा माता की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है।
- दुर्गा पूजा के इस अवसर पर बहुत से लोग श्रद्धा पूर्ण रूप और साफ मन से व्रत और पूजन करते हैं।
- दुर्गा पूजा भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।
- यह भारत के पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम और राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
- विशेषकर पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा को बहुत अधिक धूमधाम से मनाया जाता है।
- मां दुर्गा ने 10 दिनों तक महिषासुर से युद्ध कर उसका वध किया था।
- दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है।
- दुर्गा पूजा भारत में स्त्रियों के सम्मान और देवी शक्ति को दर्शाता है।
- दशहरा के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन बड़े धूमधाम से किया जाता है।
दुर्गा पूजा पर निबंध 100 शब्दों में
दुर्गा पूजा पर निबंध | Durga Puja Par Nibandh :- दुर्गा पूजा भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह हिंदुओं का धार्मिक त्यौहार है। दुर्गा पूजा हिंदुओं का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र त्यौहार में से एक है।
दुर्गा पूजा के इस अवसर पर मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है।
दुर्गा पूजा का यह त्यौहार पारंपरिक रूप से हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में 10 दिनों तक मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि दुर्गा मां ने 10 दिनों तक महिषासुर राक्षस से युद्ध कर उनका वध किया था
इसलिए इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतिक के रूप में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
दुर्गा पूजा का यह त्यौहार भारत में स्त्रियों के सम्मान और देवी की शक्तियों को दर्शाता है।
इस त्यौहार को भारत के लगभग सभी राज्यों में बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है,
पर विशेषकर इस त्यौहार को भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में सबसे अधिक उत्साह पूर्ण रूप से मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा पर निबंध 200 शब्दों में
दुर्गा पूजा पर निबंध | Durga Puja Par Nibandh :- भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर और खुशी से रहते हैं।
यहां के सभी लोग अपने अपने धर्मों को बड़े उत्साह पूर्ण रूप से मनाते हैं।
होली, दिवाली, रक्षाबंधन की तरह ही दुर्गा पूजा भी भारत का धार्मिक त्यौहार है।
दुर्गा पूजा हिंदुओं के प्रसिद्ध त्यौहार में से एक है। इस पर्व के दौरान मां दुर्गा की नौ रूपों की पूजा नौ दिनों तक की जाती हैं।
कथाओं में प्रसिद्ध है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का विनाश किया था और राम ने रावण के विनाश के लिए मां दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए चंडी पूजन किया था।
इस पर्व के अवसर पर बहुत से लोग 9 दिनों तक उपवास रखते हैं और कुछ लोग इसके बस शुरुआती और अंतिम के कुछ दिन में उपवास रखते हैं।
ऐसा करने के पीछे लोगों का मानना यह है कि दुर्गा मां उन्हें नकारात्मक प्रभावओं से दूर रखती है
और उनमें सकारात्मक भाव आता है और उनका जीवन शांति से भर जाता है।
दुर्गा पूजा का यह त्यौहार पारंपरिक रूप से हर वर्ष भारत में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम 10 दिनों में होता है।
इसके दौरान बहुत से जगह पर मेला लगते हैं। दुर्गा पूजा के इस उत्सव पर जगह-जगह पंडाल सजाए जाते हैं। दुर्गा माता की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है।
दुर्गा पूजा के इस अवसर पर बहुत से लोग श्रद्धा पूर्ण रूप और साफ मन से व्रत और पूजन करते हैं। इस पर्व को बुराई पर सच्चाई के विजय के रूप में मनाई जाती हैं।
यह पर्व भारत के स्त्रियों की सम्मान और देवियों की शक्तियों को दर्शाता है। दुर्गा पूजा के इस त्यौहार को नवरात्रि, दुर्गोत्सव, शरदोत्सव और विजयदशमी के नामों से भी जाना जाता है।
दुर्गा पूजा पर निबंध 500 शब्दों में
प्रस्तावना – दुर्गा पूजा हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह हिंदुओं का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र त्यौहार है। यह पूजा मां दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है।
मां दुर्गा को हिमाचल और मेनका की पुत्री माना जाता है। भगवान शिवजी की अर्धांगिनी सती के आत्म-बलिदान के बाद मां दुर्गा का जन्म हुआ था।
मां दुर्गा को सती का दूसरा रूप माना जाता है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है।
वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।
मां दुर्गा की प्रतिमा – दुर्गा पूजा के इस अवसर पर मां दुर्गा की बड़ी भव्य और विशाल प्रतिमा बनाई जाती है। दुर्गा मां की प्रतिमा में उनके दस हाथ दर्शाए जाते हैं।
उनके सभी हाथों में अलग-अलग प्रकार के अस्त्र होते हैं। उनकी प्रतिमा को सिंह पर सवार दिखाया जाता है।
बहुत से जगह पर मां दुर्गा के प्रतिमा के साथ-साथ भगवान गणेश, कार्तिक, माता लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां दुर्गा के अन्य रूपों की भी प्रतिमा होती हैं। वे सभी मूर्तियां बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगती है।
पूजा का आयोजन – दुर्गा पूजा बड़ी निष्ठा और श्रद्धा से की जाती है। इसका आयोजन हर वर्ष भारत में पारंपरिक रूप से अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में होती हैं।
कहा जाता है कि मां दुर्गा ने दस दिनों तक महिषासुर राक्षस से युद्ध कर उनका वध किया था उस दिन से दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई।
दुर्गा पूजा में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा 9 दिनों तक की जाती है।
दसवे दिन को दशहरा या विजयदशमी कहा जाता है।
भारत में दुर्गा पूजा का आयोजन बड़े धूमधाम और उत्साह से किया जाता है।
दुर्गा पूजा भारत के सभी राज्यों में मनाई जाती है पर विशेषकर पश्चिम बंगाल में यह पर्व अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।
प्रतिमा का विसर्जन – विजयदशमी या दशहरे के दिन प्रतिमाओं को जल में विसर्जित करने का समारोह होता है।
इस दिन प्रतिमाओं को बड़े धूमधाम से एक जुलूस के शक्ल में पास की नदी या तालाब के किनारे ले जाया जाता है।
इन प्रतिमाओं को नदी के बीच धारा में ले जाकर या तालाब में विसर्जित किया जाता है।
इन प्रतिमाओं का विसर्जन दुर्गा पूजा के त्यौहार की समाप्ति का सूचक है।
प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद लोग अपने-अपने घर लौट आते हैं।
दुर्गा पूजा का पर्यावरण पर प्रभाव – दुर्गा पूजा के अवसर पर हमें खुशी मिलती है। इस पर्व को हमलोग उत्साह पूर्वक मनाते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि
जो क्रियाकलाप हम इस पर्व में करते हैं उससे हमारा पर्यावरण थोरा प्रदूषित होता है।
मां दुर्गा की प्रतिमाओं को बनाने में और उन्हें रंगने में जो पदार्थों का उपयोग किया जाता है
वह विसर्जन के बाद जल को दूषित करते हैं। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि
हम ऐसे रंगों और पदार्थों का उपयोग करें जो हमारे पर्यावरण को ज्यादा हानि ना पहुंचाएं।
उपसंहार – भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं। यहां सभी देवी-देवताओं को विशेष महत्व दिया जाता है।
यहां सभी धर्मों के लिए उनका त्यौहार विशेष महत्व रखता है। ऐसे ही दुर्गा पूजा हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
यह त्यौहार स्त्रियों के शक्ति और उनके सम्मान को दर्शाता है।
हमलोगों को यह त्यौहार बड़े श्रद्धा पूर्ण रूप से और मिल करके मनाना चाहिए।
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